आज जब तिरंगा देखा मैंने
मेरे वतन की याद आने लगी
आज जब राष्ट्रगान सुना मैंने
मुझे वतन की खुशबू सताने लगी
आज जब तिरंगा देखा मैंने
मेरे वतन की याद आने लगी
आज जब राष्ट्रगान सुना मैंने
मुझे वतन की खुशबू सताने लगी
नींद में देखे गए सपनों से बड़े वो सपने होते हैं,
जिनके सुरूर में हम नींद खो बैठते हैं।”
जिम्मेदारियां भी एक इम्तेहान होती है,
जो निभाता है न उसी को परेशान करती हैं।
लक्ष्य सही होना चाहिए वरना
काम तो दीमक भी करती है
पर होता विनाश ही है उससे
होता होगा तुम्हारी दुनियाँ में गहरा समंदर।
हमारे यहाँ इश्क़ से गहरा कुछ भी नहीं।।
तू किसी और के लिए होगा समंदर-ऐ-इश्क़।
हम तो रोज़ तेरे साहिल से
प्यासे गुज़र जाते हैं।।
मैनें तेरा नाम लेके ही सारे
काम किये है महादेव
और लोग समजतें है
की बन्दा किस्मत वाला है ?
खुशबु आ रही है कही से
गांजे और भांग की
शायद खिड़की खुली रह गयी है
मेरे महाकाल के दरबार की…
मुझे क्या डराएगा मौत का मंजर
हमने तो जन्म ही कातिलों की बस्ती में लिया है
🔹क्या है हमारी औकात हमने बतलाना छोड़ दिया,
भोलेनाथ जब से हम डूबे तेरी दीवानगी में
तो मौत ने भी हम से टकराना छोड़ दिया!!
#जय भोलेनाथ