तुम्हें लगता होगा न .. कि कितना बुरा हूं मैं ..
लगने की बात है … मुझे तो खुदा लगे थे तुम ..
तुम्हें लगता होगा न .. कि कितना बुरा हूं मैं ..
लगने की बात है … मुझे तो खुदा लगे थे तुम ..
ऐ मेरे पाँव के छालो… जरा लहू उगलो,
सिरफिरे मुझसे सफ़र के निशान माँगेंगे।
जिन जख्मो से खून नहीं निकलता समझ लेना
वो ज़ख्म किसी अपने ने ही दिया है।
क्यों बहाने करते हो मुझसे रूठ जाने के
साफ़ साफ़ कह देते दिल में जगह नहीं है हमारे लिए
वो मिली भी तो क्या मिली बन के बेवफा मिली,
इतने तो मेरे गुनाह ना थे जितनी मुझे सजा मिली।
सिर्फ हम ही जानते हैं इस दिल की बेकरारी,
हमें जीने के लिए तुम्हारी जरुरत है
सांसों की नहीं.
आज भी मेरे बदन से आती है तेरे ही सांसों की महक,
तेरे बाद किसी को सीने से लगाया नहीं हमने!!
तू किसी और के लिए होगा समंदर-ऐ-इश्क़।
हम तो रोज़ तेरे साहिल से
प्यासे गुज़र जाते हैं।।
अब मोहब्बत नही रही इस जमाने में, क्योंकि लोग
अब मोहब्बत नही मज़ाक किया करते है इस जमाने में।
जिद में आकर उनसे ताल्लुक तोड़ लिया हमने,
अब सुकून उनको नहीं और बेकरार हम भी हैं।