हम ने रोती हुई आँखों को हँसाया है सदा,
इस से बेहतर इबादत तो नहीं होगी हमसे।

तुम्हें लगता होगा न .. कि कितना बुरा हूं मैं ..
लगने की बात है … मुझे तो खुदा लगे थे तुम ..
क्यों बहाने करते हो मुझसे रूठ जाने के
साफ़ साफ़ कह देते दिल में जगह नहीं है हमारे लिए
वो मिली भी तो क्या मिली बन के बेवफा मिली,
इतने तो मेरे गुनाह ना थे जितनी मुझे सजा मिली।
सिर्फ हम ही जानते हैं इस दिल की बेकरारी,
हमें जीने के लिए तुम्हारी जरुरत है
सांसों की नहीं.
आज भी मेरे बदन से आती है तेरे ही सांसों की महक,
तेरे बाद किसी को सीने से लगाया नहीं हमने!!
अब मोहब्बत नही रही इस जमाने में, क्योंकि लोग
अब मोहब्बत नही मज़ाक किया करते है इस जमाने में।
अनजान थे हम अनजान ही रहने दो,
किसी की यादों में हमें पल पल यूँ ही मरने दो,
क्यों करते हो बदनाम लेकर नाम हमारा,
अब तो इस नाम को गुमनाम रहने दो।