क्यों बहाने करते हो मुझसे रूठ जाने के
साफ़ साफ़ कह देते दिल में जगह नहीं है हमारे लिए
क्यों बहाने करते हो मुझसे रूठ जाने के
साफ़ साफ़ कह देते दिल में जगह नहीं है हमारे लिए
वो मिली भी तो क्या मिली बन के बेवफा मिली,
इतने तो मेरे गुनाह ना थे जितनी मुझे सजा मिली।
अल्फाज़ तो बहुत है मोहब्बत को जताने के लिए !
जो मेरी खामुशी नहीं समझ सका
वो मेरी मोहब्बत क्या समझे गा !!
वो मिली भी तो क्या मिली
बन के बेवफा मिली,
इतने तो मेरे गुनाह ना थे
जितनी मुझे सजा मिली।
कोई रुठे आगर तो उसे फौरन मना लो
क्योंकि जिद की जंग मे आक्सर
जुदाई जीत जाती है बाबु
वफादार और तुम ?
ख्याल अच्छा है, बेवफा और हम?
इल्जाम भी अच्छा है.
मिल ही जाएगा कोई ना कोई टूट के चाहने वाला
अब शहर का शहर तो बेवफा हो नहीं सकता
हर कोई तेरे आशियाने
का पता पूछता है
न जाने किस किस से
वफा के वादे किये हैं तूने
कभी ग़म तो कभी तन्हाई मार गयी,
कभी याद आ कर उनकी जुदाई मार गयी,
बहुत टूट कर चाहा जिसको हमने,
आखिर में उनकी ही बेवफाई मार गयी
वो करते हैं शिकायत हमसे कि हम
हर किसी को देखकर मुस्कुराते हैं,
शायद उन्हें नहीं पता कि हमें हर
मुखड़े में सिर्फ वो ही नज़र आते हैं।