तुम्हें लगता होगा न .. कि कितना बुरा हूं मैं ..
लगने की बात है … मुझे तो खुदा लगे थे तुम ..
तुम्हें लगता होगा न .. कि कितना बुरा हूं मैं ..
लगने की बात है … मुझे तो खुदा लगे थे तुम ..
ऐ मेरे पाँव के छालो… जरा लहू उगलो,
सिरफिरे मुझसे सफ़र के निशान माँगेंगे।
जिन जख्मो से खून नहीं निकलता समझ लेना
वो ज़ख्म किसी अपने ने ही दिया है।
जिद में आकर उनसे ताल्लुक तोड़ लिया हमने,
अब सुकून उनको नहीं और बेकरार हम भी हैं।
आसान नहीं है हमसे यूँ शायरी में जीत पाना..!!
हम हर एक लफ्ज़ मोहब्बत में हार कर लिखते हैं।
“कभी कभी ख़ुद की ग़लती भी मान लेनी चाहिए…
शायद कोई अपना दूर होने से बच जाए।”
सोचा था आज तेरे सिवा कुछ और सोचुँ !
अभी तक इस सोच में हुँ कि और क्या सोचुँ !!
पक्षी पर्यावरण के संकेतक हैं.
यदि वे खतरे में हैं तो हम जानते हैं कि
हम भी जल्द ही खतरे में होंगे.
आप रुक सकते है लेकिन समय नहीं,
इसलिए धीरे ही सही लेकिन चलते रहे।
नींद चुराने वाले पूछते हैं सोते क्यों नही,
इतनी ही फिक्र है तो फिर हमारे होते क्यों नही।