मदहोश हम हरदम रहा करते हैं,
और इल्ज़ाम शराब को दिया करते हैं,
कसूर शराब का नहीं उनका है यारों,
जिनका चेहरा हम हर जाम में तलाश किया करते हैं!!
मदहोश हम हरदम रहा करते हैं,
और इल्ज़ाम शराब को दिया करते हैं,
कसूर शराब का नहीं उनका है यारों,
जिनका चेहरा हम हर जाम में तलाश किया करते हैं!!
जाम तो यू ही बदनाम है
यारों कभी इश्क करके देखो
या तो पीना भूल जाओगे या
फिर पी-पी के जीना भूल जाओगे ||
रात चुप है मगर चाँद खामोश नहीं,
कैसे कहूँ आज फिर होश नहीं,
इस तरह डूबा हूँ तेरी मोहब्बत की गहराई में,
हाथ में जाम है और पीने का होश नहीं..
नशा हम किया करते हैं
इल्ज़ाम शराब को दिया करते हैं,
कसूर शराब का नहीं उनका है
जिसका चेहरा हम जाम में तलाश किया करते हैं।
वो भी दिन थे जब हम भी पिया करते थे,
यूँ न करो हमसे पीने पिलाने की बात,
जितनी तुम्हारे जाम में है शराब,
उतनी हम पैमाने में छोड़ दिया करते थे।
मत कर हंगामा पीकर हमारी गली में,
हम तो खुद बदनाम है तेरी मोहब्बत के नशे में
नशा हम करते हैं,
इलज़ाम शराब को दिया जाता है,
मगर इल्ज़ाम शराब का नहीं उनका है,
जिनका चेहरा हमें हर जाम में नज़र आता है!
पीके रात को हम उनको भुलाने लगे,
शराब में गम को मिलाने लगे,
दारू भी बेवफा निकली यारों,
नशे में तो वो और भी याद आने लगे…
निकलूं अगर मयखाने से तो
शराबी ना समझना दोस्त,
मंदिर से निकलता..
हर शख्स भी तो भक्त नहीं होता |
हम तो जी रहे थे उनका नाम लेकर,
वो गुज़रते थे हमारा सलाम लेकर,
कल वो कह गये भुला दो हुमको,
हमने पुछा कैसे..
वो चले गये हाथो मे जाम देकर |