ऐ ज़िन्दगी बार बार न रुलाया कर..
हर किसी के पास चुप कराने वाला नहीं होता।
खव्वाहिश तो न थी किसी से दिल लगाने की पर,
किस्मत में दर्द लिखा है मोहब्बत कैसे न होती।
ऐ ज़िन्दगी बार बार न रुलाया कर..
हर किसी के पास चुप कराने वाला नहीं होता।
खव्वाहिश तो न थी किसी से दिल लगाने की पर,
किस्मत में दर्द लिखा है मोहब्बत कैसे न होती।