आँखें थक गई है आसमान को देखते देखते
पर वो तारा नहीं टूटता ,जिसे देखकर तुम्हें मांग लूँ
आँखें थक गई है आसमान को देखते देखते
पर वो तारा नहीं टूटता ,जिसे देखकर तुम्हें मांग लूँ
हम ने रोती हुई आँखों को हँसाया है सदा,
इस से बेहतर इबादत तो नहीं होगी हमसे।
तुम्हें लगता होगा न .. कि कितना बुरा हूं मैं ..
लगने की बात है … मुझे तो खुदा लगे थे तुम ..
ऐ मेरे पाँव के छालो… जरा लहू उगलो,
सिरफिरे मुझसे सफ़र के निशान माँगेंगे।
जिन जख्मो से खून नहीं निकलता समझ लेना
वो ज़ख्म किसी अपने ने ही दिया है।
जिद में आकर उनसे ताल्लुक तोड़ लिया हमने,
अब सुकून उनको नहीं और बेकरार हम भी हैं।
आसान नहीं है हमसे यूँ शायरी में जीत पाना..!!
हम हर एक लफ्ज़ मोहब्बत में हार कर लिखते हैं।
“कभी कभी ख़ुद की ग़लती भी मान लेनी चाहिए…
शायद कोई अपना दूर होने से बच जाए।”
जो “दोगे” वही लौट कर आएगा,
चाहे वह “इज्जत” हो या “धोखा”..
दुनिया में केवल “पिता” ही एक ऐसा इंसान है,
जो चाहता है कि मेरे बच्चे
मुझसे भी ज्यादा “कामयाब” हो!